भ्रष्टाचार रूपी भस्मासुर का संहार

"शिक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग के भ्रष्टाचार रूपी भस्मासुर का संहार किए बगैर नहीं हो सकता- भारत का विकास"" -----------प्रो.अखिलेश्वर शुक्ला जिस देश में शिक्षक को नियुक्ति से लेकर सेवानिवृत्ति तक कार्यालयों में टेबल -टेबुल का चक्कर लगाना पड़े। जिस देश में जन्म लेने से मृत्यु तक मिलावटी खाद्य पदार्थ, नकली दवाओं के साथ जीवन जीने के लिए मजबुर होना पड़े। उस देश को विकसित, डिजिटल या अग्रणी भूमिका में लाना कितना मुश्किल काम है -आसानी से सोंचा समक्षा जा सकता है। जिस देश में शिक्षक अर्थात गुरु जो किसी भी राष्ट्र का निर्माता भाग्य विधाता होता है।उसे अपने हाल पर छोड़ दिया गया हो। ताज्जुब होता है जब सेवा निवृत्त शिक्षक से पेंशन पञावली के पीछे पीछे दौडने, निदेशक उच्च शिक्षा के कार्यालय तक पहूंचने से लेकर अन्य खातिरदारी की अपेक्षा की जाती है। यही नहीं जिस संस्था में अपना पुरा कार्यकाल कुशलता पूर्वक पूर्ण करता है- वहां भी कुछ अपेक्षा के साथ महिनों पेंशन पञावली के नाम पर प्रतिक्षा कराय...